भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐशट्रे में / वास्को पोपा / सोमदत्त
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:40, 2 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वास्को पोपा |अनुवादक=सोमदत्त |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक नन्हा सूरज
पीले तम्बाकुई केशों वाला
सुलग रहा है ऐशट्रे में
सस्ती लिपस्टिक का ख़ून चुभलाता है
निर्जीव ठूँठ टोंटों के
सएफ़रोश हुई तीलियाँ तरसती हैं
गन्धक-मुकुटों को
हिनहिनाती हैं नीली अयालें राख की
गिरफ़्तार अपनी उछल-कूद में
एक विशाल हाथ
जलती आँख लिए अपनी हथेली में
ताड़ रहा है अन्तरिक्ष से
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोमदत्त