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उठ जा मेरी राजदुलारी / संजीव 'शशि'
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सूरज निकला पंछी गाएँ,
फैली है उजियारी।
उठ जा मेरी राजदुलारी॥
अलसाई-अलसाई सर,
मेरे काँधे पर धर ले।
मुस्काकर अपने पापा,
को बाँहों में भर ले।
आजा ज़रा निहारूँ जी भर,
सूरत प्यारी-प्यारी।
जल्दी से उठ जाओ गुड़िया,
बहुत हो चुका सोना।
जल्दी से मंजन करलो फिर,
करो नहाना-धोना।
करो नाश्ता फिर करनी,
विद्यालय की तैयारी।
बड़ा नाम करना है जग में,
बिटिया रानी पढ़कर।
शिखर चूमना है तुमको,
हिम्मत से आगे बढ़कर।
नन्ही-नन्ही बाँहों में,
भरनी है दुनिया सारी।