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मुझें भी मिल जायें / पुरूषोत्तम व्यास
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मुझें भी मिल जायें
खजाना
अलीबाबा का जो चोरी का
धन
जिसमें कही लोंगों के आंसू थे हाय थी
और
अलीबाबा को मालूम था
धन ऐसे नही इकठ्ठा किया
जाता