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स्मृति-घटिका - 1 / विमलेश शर्मा

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एक शाम
झील किनारे कुछ पंछी लौट रहे थे

चाँद की राह तकता एक पथिक
देर तक वहाँ खड़ा रहा

उसकी आँखों और आसमां का रंग
एक-सा था!
एक डाल पर
उसी शाम
आस का एक पुल बँधा था
देखने वालों को मालूम है
रात उसी राह चलकर
शाम के गले मिली थी!