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बहते जल के साथ न बह / जगदीश व्योम
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कवि: डॉ॰ जगदीश व्योम
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बहते जल के साथ न बह
कोशिश करके मन की कह।
मौसम ने तेवर बदले
कुछ तो होगी खास बज़ह।
कुछ तो खतरे होंगे ही
चाहे जहाँ कहीं भी रह।
लोग तूझे कायर समझें
इतने अत्याचार न सह।
झूठ कपट मक्कारी का
चारण बनकर गजल न कह।