भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इश्क़ से पहले / पंछी जालौनवी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:30, 24 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पंछी जालौनवी |अनुवादक= |संग्रह=दो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
उसके दिलमें
दिमाग़ में
सोचों की गुफ़ाओं में
नामालूम कैसे पहुंच जाती थी
हर दुसरे चौथे दिन
एक नई औरत
और वो अंदर ही अंदर
नई औरत को
सजता संवारता
खुशरंग लिबास पहनाता
उसकी पेंटिंग बनाता
और अपनी तस्कीन के लिये
सोचों की गुफाओं में
इस नई औरत को भी क़ैद रखता
जहां पहले से ही कई चीखें
मुरदार पड़ी थीं
देखते ही देखते
उसके दिलमें
कई क़ब्रिस्तान
आबाद हो गये थे
जहां इसतरह की
औरतें दफ़्न थीं
फिर वो एक रोज़
ख़ुद फ़िदा हो गया
किसी औरत पर
जिसकी बाँहों में आकर
उसने दम तोड़ दिया ॥