भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शादी / पंछी जालौनवी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:31, 24 जून 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पंछी जालौनवी |अनुवादक= |संग्रह=दो...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मांझा ,मेंहदी
द्वारपूजा,जूता छुपाई
चौथी ,चाले
और वलीमा ,मुंह दिखाई
साड़ी रस्में उदास हैं
बैंड बाजा ,घोड़ी सेहरा
बुफ़े डिनर , और नेक वग़ैरह
सब हाथ पे हाथ धरे बैठे हैं
नानबाई और हलवाई
भविष्य को लेकर
ख़ौफ़ज़दा हैं
सहमे सिमटे डरे बैठे हैं
सामाजिक दूरी के इस दौर में
सबकी सहमति से संस्कारों ने
दो दिलों की नज़दीकियों का
प्रबंध कर दिया
मिलके चंद रिश्तेदारों ने ॥