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जटा बढ़ाए एक अघोरी / राजेन्द्र गौतम
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जटा बढ़ाए एक अघोरी
करता मंत्रोच्चार
छोटे-बड़े-मझोले झोले
अगल-बगल लटकाए
सम्मोहन-मारण-उच्चाटन
जन पर रोज़ चलाए
नरमुण्डों से कापालिक को
बेहद-बेहद प्यार
डाकिनियों का, शाकिनियों का
बढ़ा रहा उल्लास
भूत-पिशाचों की टोली को
रखता अपने पास
ख़ूनी खप्पर भरने को यह
हरदम है तैयार
काल-रात्रि का यह पूजक है
साधे शव शमशान
भैरव और भैरवी पूजे
काँपें सब के प्राण
जाने कितनी जानें लेगा
काला जादू मार