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मज़िल वही है,प्यार के राही बदल गए / शैलेन्द्र
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मंज़िल वही है प्यार की, राही बदल गए
सपनों की महफ़िल में हम-तुम नए
मंज़िल वही है प्यार की, राही बदल गए
दुनिया की नज़रों से दूर, जाते हैं हम-तुम जहाँ
उस देश की चाँदनी गाएगी ये दास्ताँ
मौसम था वो बहार का, दिल थे मचल गए
सपनों की महफ़िल में हम-तुम नए
मंज़िल वही है प्यार की, राही बदल गए
छुप ना सके मेरे राज़, नग़्मों में ढलने लगे
रोका था फिर भी ये दिल पहलू बदलने लगे
ये दिन ही कुछ अजीब थे, जो आज-कल गए
सपनों की महफ़िल में हम-तुम नए
मंज़िल वही है प्यार की, राही बदल गए