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तुम तो दिल के तार छेड़कर खो गए बेख़बर / शैलेन्द्र

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तुम तो दिल के तार छेड़कर, हो गए बेख़बर
चाँद के तले जलेंगे हम, ऐ सनम, रातभर
तुमको नींद आएगी, तुम तो सो ही जाओगे
किसका ले लिया है दिल, ये भी भूल जाओगे
ये तो कह दो एक बार, ख़्वाब में तो आओगे, ख़्वाब में तो आओगे
तुम तो दिल के तार छेड़कर …

अपनी एक और रात उलझनों में जाएगी
शोख़-शोख़ वो अदा हमको याद आएगी
मस्त-मस्त हर नज़र दर्द बनके छाएगी, दर्द बनके छाएगी
तुम तो दिल के तार छेड़कर …

आज सब्र का भी हाथ हमसे छूटने लगा
अब तो बात-बात पर दिल भी रूठने लगा
क्या ग़ज़ब है हर कोई हमको लूटने लगा, हमको लूटने लगा
तुम तो दिल के तार छेड़कर …

1961