भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नानी के घर से / श्रवण कुमार सेठ
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:26, 4 अगस्त 2021 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=श्रवण कुमार सेठ |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
बादल ये जो
जम के बरसे
आये थे नानी
के घर से।
छतरी उड़ी
हवा के डर से
भीगे सारे पाँव
तक सर से।