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लक्ष्य के पथ जाना है / गोलेन्द्र पटेल

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लक्ष्य के पथ जाना है
आँधी आये दीप बुझे ;
फिर भी रूक नहीं सकता
मणि है साथ जो!
आगे बढ़ चला
साहित्य के घर चला!
आदित्य की तरह जला
काव्य-परिसर में आ जो पला!