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पूरब की धुन / अफ़अनासी फ़ेत / वरयाम सिंह

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बताओ मुझे, मेरे प्यारे दोस्त !
किससे तुलना हो सकती है
मेरी और तेरी ?

दो अश्व हैं हम
नदी में फिसलते
कच्ची डोंगी के दो खेवनहार

तंग छिलके में सिकुड़े दो कण
जीवन के फूल पर बैठी दो मधुमक्खियाँ
ऊँचे आकाश में दो तारे !