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अक्षरों का संगीत लेकर / सरस्वती माथुर
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आओ ठीक करें
रिश्तों कि तहें
तितली, गिलहरी गुलाब
धूप की बातें करें
पत्ती से थोड़ी सी
हरीतिमा उधार लेकर
चह्कते पक्षियों से
अक्षरों का संगीत लेकर
खिड़की की तरह खोल दे
दिल के दरवाज़े
अपनी आभा
अपनी गंध मिला कर
सुखद सूर्य की कामना करें
धूप से लेकर रोशनी सपनो की
कर दे रूपाभ
रिश्तों की दीपशिखा से
और भर लें
अपना आकाश ख्वाइशों के
कलरव करते पक्षियों से !