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एक कवि मिलता है / शुभोनाथ / तनुज

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एक कवि मिलता है दूसरे कवि से
जैसे बीड़ी से मिलती है तिल्ली की आग

पूनम की रात का वह क्षण
आँखें भिंच जाती हैं तब —
देखकर
चांद के सफ़ेद चमकीले पँख

नशे का उतरता है नक़ाब
और कवि मिल लेता है
बीच चौराहे पर, अपने ही प्रतिबिम्ब से !

एक तितली भी साथ-साथ
बैठ चुकी होती है फूल पर
भूलकर ख़याल वक़्त का...

मूल बांगला से अनुवाद : तनुज