भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हंगरी की बंजारन / अपअललोन ग्रिगोरिइफ़ / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:43, 21 जनवरी 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अपअललोन ग्रिगोरिइफ़ |अनुवादक=अन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो गिटार बज रहे थे
दुख से
बिसूर रहे थे

बचपन की
एक यादगार धुन
मेरे पुराने दोस्त हो न तुम ?’
से मन को पूर रहे थे ।

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय

और लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
             Аполло́н Григо́рьев
             Цыганская венгерка

Две гитары,
зазвенев,
Жалобно заныли…

С детства
памятный напев,
Старый друг мой — ты ли?