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आस्था - 32 / हरबिन्दर सिंह गिल
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मानव तो आदी है
समय के साथ
अपने संबंधों को बदलने का।
बचपन में
माता-पिता भगवान से भी
ऊपर होते हैं
यह इसलिये होता है
उसके अंदर के मानव ने
बोलना नहीं सीखा है।
मानव जब बालिग होता है
माता-पिता
सिर्फ आदरणीय रह जाते हैं
यह इसलिये होता है
इसके अंदर के मानव ने
बोलना सीख लिया है
जब बालक मानव बन जाता है
माता-पिता साथी बनकर रह जाते हैं
यह इसलिये होता है
उसके अंदर के आदमी ने
तर्क करना सीख लिया है।
वह तर्क करता है
बच्चों का पालन-पोषण
माता-पिता का फर्ज है
यह इसलिये होता है
उसके अंदर के मानव ने
विरोध करना सीख लिया है।