भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द / महमूद दरवेश
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:55, 3 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महमूद दरवेश |संग्रह= }} <Poem> जब मेरे शब्द बने गेहूँ ...)
जब मेरे शब्द बने गेहूँ
मैं बन गया धरती।
जब मेरे शब्द बने क्रोध
मैं बन गया बवंडर।
जब मेरे शब्द बने चट्टान
मैं बन गया नदी।
जब मेरे शब्द बन गये शहद
मक्खियों ने कब्जे मे ले लिए मेरे होंठ
अनुवाद : यादवेन्द्र