दिन भर जद्दोजहद
कि दिन भर चुग्गा-पानी
में मशगूल रही जो छोटी चिड़िया-रानी
उसने अपने पंख पसारे
उठी हवा में
और
लिख गईं गगन-पटल पर
उड़ते-उड़ते
सांध्य गीत का
पहला मुखड़ा पहली बंदिश
विस्मृति जैसी गूँजती हुई
वह प्रथम पंक्ति
उड़ते-उड़ते
उड़ते उड़ते