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प्रथम पंक्ति / दिनेश कुमार शुक्ल

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दिन भर जद्दोजहद
कि दिन भर चुग्गा-पानी
में मशगूल रही जो छोटी चिड़िया-रानी

उसने अपने पंख पसारे
उठी हवा में
और
लिख गईं गगन-पटल पर
उड़ते-उड़ते
सांध्य गीत का
पहला मुखड़ा पहली बंदिश
विस्मृति जैसी गूँजती हुई
वह प्रथम पंक्ति
उड़ते-उड़ते
उड़ते उड़ते