Last modified on 26 मई 2022, at 13:25

माँ बेटी दोपहरी / देवेन्द्र कुमार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:25, 26 मई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवेन्द्र कुमार |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माँ-बेटी
दोपहरी
पाट छोड़कर बहती
पहाड़ी नदी गहरी

चील उड़ी तालों से
वह देखो !
आसमान भर गया
सवालों से

काँच की ख़िड़कियों पर
जैसे इच्छा ठहरी

कहने को खेत मिला
घर छूटा
आँचल में
नदियों को रेत मिला
सागर का नाम बड़ा
आँखों देखी कह री !

माँ-बेटी
दोपहरी
पाट छोड़कर बहती
पहाड़ी नदी गहरी