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याद-2 / वेणु गोपाल

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आप
 जेल की कोठरी से
   आसमान देखते हैं
      हरा पौधा देखते हैं
          उजाला देखते हैं
                   और

बेकाबू होते
  अपने आपे को
     भरसक काबू करते हुए
        नज़रें फेर लेते हैं। मैं ठीक

इसी तरह
  उसकी याद करता हूँ
      और फिर नहीं करने
             की कोशिश में
           और-और करता हूँ। करता ही
                            चला जाता हूँ।

रचनाकाल : 12 मई 1975