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है चमन तुम्हीं से / प्रेमलता त्रिपाठी
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मिला न तुम-सा कहीं सहारा।
खिले सुमन मन जहाँ हमारा।
सजा लिया है चमन तुम्हीं से,
करो सरस माँ विधान सारा।
लगी लगन और आस माता,
बड़ा सुखद संग प्रिय तुम्हारा।
कहीं न मन का अजान मिटता,
सुपथ दिखाकर हमें सँवारा
तमस मिटाकर उजास करती,
लुटा सहज मन पुनीत प्यारा।
विभा तुम्हीं से विहान शारद,
सुगम बनाया सप्रेम न्यारा।