भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पलकों में छिप जाते आँसू / प्रेमलता त्रिपाठी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:32, 25 जून 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रेमलता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जहाँ प्यार छलकाते आँसू ।
ममता वहीं लुटाते आँसू ।।

नयनों की है अकथ कहानी ।
नाते सभी निभाते आँसू ।।

बचपन से नटखट भी होते ।
हँसते और हँसाते आँसू ।।

कटुता पटुता दोनों इनमें ।
माया जाल बिछाते आँसू ।।

करुणा सोती सदा हृदय में ।
आखर सरस सजाते आँसू ।।

नम नयना बन काजल बहते
पलकों में छिप जाते आँसू ।।

व्यथा सहज यह कह जाते हैं ।
मन की बात पढ़ाते आँसू ।।

वाणी से आहत हो जब मन
प्रेम न थिर रह पाते आँसू ।।