Last modified on 4 जुलाई 2022, at 09:59

ख़बर / शंख घोष / जयश्री पुरवार

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:59, 4 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शंख घोष |अनुवादक=जयश्री पुरवार |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अधखुले दरवाज़े से कमरे के भीतर घुसती जा रही ख़बर
खिड़की के कोने-कोने में टप-टप झरती जा रही ख़बर
इधर-उधर खिसकता जाता हूँ
पर मुझे ज़ोर से पकड़ रही है ख़बर
दीवार तोड़कर बाहर निकल आता हूँ
पूरी शक्ति से दौड़ता जाता हूँ
परन्तु मेरे सामने, पीछे, दाएँ-बाएँ है ख़बर,
खबरों का भँवर

औंधे मुँह गिर पड़ता हूँ पथ पर
मेरे ऊपर जमती रहती हैं ख़बरें ढेर बनकर
बन्द हो जाती है श्वास
मेरे मृत शरीर के ऊपर आनन्द से नाचती रहती है
नाचती ही रहती हैं
सिर्फ जीवन्त ख़बरों पर ख़बर ,
ख़बरों पर ख़बर ।

मूल बांग्ला से अनुवाद : जयश्री पुरवार