भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बातें तो बातें हैं / रामकुमार कृषक

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:31, 8 जुलाई 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकुमार कृषक |अनुवादक= |संग्रह=स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बातें तो बातें हैं
बात क्या करें
भूतों से भिड़ने को लातें ही ठीक ?

आख़िर क्यों
पोषते रहें
बेमानी आशाएँ
मानवी बता
कुण्ठित–से ऐंठते रहें
अपने ही भीतर का आदमी सता,

बातें तो बातें हैं
बात क्या करें
घातों के बदले में घातें ही ठीक ?

गर्दन पर
ओटते रहें
नाकारा नारों का
कब तलक जुआ
सहते ही जाएँ क्यों
चाँटे ही चाँटे हम
गॉंधी का देश क्या हुआ,

बातें तो बातें हैं
बात क्या करें
चोटों के बदले में चोटें ही ठीक ?

07 फ़रवरी 1974