भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कैद / भावना शेखर
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:19, 16 अगस्त 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भावना शेखर |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आज फिर पिंजरे के पंछी ने देखीं
टूटी चूड़ियां
उदास चूल्हा
लुढ़की बोतल
भीगा तकिया
आज फिर पंछी
अपनी क़ैद पर मायूस ना हुआ।