भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नदी किनारे सूरज चमका / केशव शरण
Kavita Kosh से
Arti Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:18, 22 अगस्त 2022 का अवतरण
लहरों में नाचा
फूलों में महका
पत्तों में सरसराया
रंगों में छलका
घंटियों में गूंजा
चिड़ियों में चहका
हवाओं में झूमा
पगडंडियों में घूमा
अंकुर में उभरा
ओस में टपका
नदी किनारे सूरज चमका