भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ये अनजान नदी की नावें / धर्मवीर भारती

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:32, 12 सितम्बर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धर्मवीर भारती |अनुवादक= |संग्रह= }}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये अनजान नदी की नावें
जादू के से पाल
उड़ातीं
आतीं
मन्थर चाल ।

नीलम पर किरणों
की साँझी
एक न डोरी
एक न माँझी,
फिर भी लाद निरन्तर लातीं
सेन्दूर और प्रवाल !

कुछ समीप की
कुछ सुदूर की,
कुछ चन्दन की
कुछ कपूर की,
कुछ में गेरू
कुछ में रेशम
कुछ में केवल जाल ।

ये अनजान नदी की नावें
जादू के से पाल
उड़ातीं
आतीं
मन्थर चाल ।