भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अक्शा, मैं तेरा क़ातिल हूँ / देवनीत / जगजीत सिद्धू
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:22, 12 अक्टूबर 2022 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवनीत |अनुवादक=जगजीत सिद्धू |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
अक्शा परवेज़ एक सोलह वर्षीय मुस्लिम लड़की थी, जिसे दिसम्बर 2003 में टोरण्टो में उसके पिता ने इसलिए क़त्ल कर दिया था, क्योंकि वह अपनी पसन्द के कपड़े पहनती थी।
अक्शा मैं तेरा बाप नहीं हूँ,
एक शायर हूँ ...
मैं ही तेरा क़ातिल हूँ,
यहाँ,
जब भी कोई क़त्ल होता है,
तो सिर्फ़,
शायर को पता होता है,
और किसी को तो पता ही नहीं होता,
कि
यहाँ कोई क़त्ल भी हुआ है ....
—
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद : जगजीत सिद्धू