भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
योजनाओं का शहर-5 / संजय कुंदन
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:33, 11 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजय कुंदन |संग्रह= }} <Poem> आप निर्गुन क्यों सुनते ...)
आप निर्गुन क्यों सुनते हैं
मेरे पड़ोसी ने मुझ से पूछा
तो मुझे कोई जवाब नहीं सूझा
पड़ोसी यह समझ नहीं पा रहा था
कि कोई इन्सान ऎसा काम क्यों करता है
जिसमें कुछ फ़ायदा न हो
वह शायद कहना चाहता था
कि जितनी देर में निर्गन सुना जा सकता था
उतनी देर में बन सकती थीं कई योजनाएँ
फिर उसने प्रस्ताव रख दिया
कि वह मेरे लिए योजनाएँ बना सकता है।
विदेश-यात्रा की योजनाएँ
निवेश की योजनाएँ