भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम करना / नाज़िम हिक़मत / शुचि मिश्रा
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:57, 11 जनवरी 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नाज़िम हिक़मत |अनुवादक=शुचि मिश्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जैसे नमक के साथ रोटी खाना
ठीक ऐसा ही है तुम्हें प्रेम करना
ज्वर में जागना
और चेहरे पर मारना पानी की धार
ऐसा पार्सल
जिसपर नाम हो न पता
चौकन्ना होकर खोलना उत्सुकता से
जैसे
समुद्र पर उड़ना
पहली बार
अपने शहर
इस्तामबुल पर साँझ गहराना
शनैः शनैः
तुम्हें प्रेम करना;
ऐसा कहना कि
ज़िन्दा हूँ मैं !
अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा