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हुआ देश आजाद / बाबा बैद्यनाथ झा

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हुआ देश आजाद, सुखी हैं क्या हम प्रियवर?
भोजन वस्त्र मकान, बिना हम जीते रोकर।

पढ़ा-लिखा बेकार, भटकता है मेधावी।
अपढ़ भोगता राज्य, योग्य को मिलती ठोकर।

है निर्धन परिवार, गुजारा हो भी कैसे।
बंधक आज जमीन, अन्न मिलना है दूभर।

सिर पर है ऋणभार, ब्याज भी बढ़ता जाता।
कैसे हो व्यापार, मार्ग दिखलाएँ प्रभुवर।

बेटी एक जवान, ब्याह होना है मुश्किल।
माँगे लोग दहेज, जुटाना जो है दुष्कर।

सबका एक निदान, ध्यान से सुन लें बाबा
उद्यम साहस धैर्य, साथ में चलिए लेकर।