भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उतरन / ललन चतुर्वेदी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:10, 12 मई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ललन चतुर्वेदी |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इन दिनों मैंने पहन लिये हैं
दूसरे के कपड़े
लोग कहते हैं-अच्छे लग रहे हो
कहाँ से खरीदी, कहाँ से सिलवाई
मेरे पास कोई जवाब नहीं
कपड़े देने वाला हरदम
मेरे साथ रहता है
मैं अक्सर मौन रहता हूँ इन दिनों।
चलो, रात होने को है
मैंने कपड़े उतार कर
टांग दिये हैं खूंटी में
बड़ी राहत मिली है
आज अच्छी नींद आएगी।