भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
किऑक थाकेल
Kavita Kosh से
Georg Trakl
जन्म | 3 फ़रवरी 1887 |
---|---|
निधन | 3 नवम्बर 1914 |
उपनाम | Georg Trakl |
जन्म स्थान | साल्सवॉग, आस्त्रिया (आस्ट्रिया) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
जर्मन भाषा में कुल चार कविता-संग्रह — कविताएँ (1913), सपनों में सेबस्तियान (1915), पतझड़ में अकेला मनुष्य (1920) और दिवंगत का गीत (1933)। इनके अलावा अँग्रेज़ी में 27 किताबें छपी हैं। | |
विविध | |
किऑक थाकेल (आस्त्रियाई भाषा में उनके नाम का यही उच्चारण है) का नाम आस्त्रिया के महान कवियों की सूची में शामिल किया जाता है। 27 बरस की छोटी-सी उम्र में बड़ी मात्रा में कोकीन जैसे मादक पदार्थ का सेवन करने की वजह से उनका देहान्त हो गया था। इससे कुछ माह पहले ही किऑक थाकेल ने गहरे अवसाद से घिरकर पहले विश्व-युद्ध के मोरचे पर ख़ुद को गोली मार ली थी, पर डॉक्टरों ने उन्हें बचा लिया था। विश्व-युद्ध में वे एक चिकित्सक के रूप में सैनिकों की सेवा कर रहे थे। 21 बरस की उम्र में ही उनके लिखे छह नाटक पूरे आस्त्रिया में प्रसिद्ध हो गए थे। तभी से आस्त्रियाई साहित्यिक पत्रिका ’देय प्रेना’ (Der Brenner) में किऑक थाकेल की रचनाएँ नियमित रूप से प्रकाशित होने लगी थीं। सिर्फ़ छह बरस लिखकर वे आस्त्रिया के महानतम कवि माने जाने लगे। | |
जीवन परिचय | |
किऑक थाकेल / परिचय |