भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अधूरी इच्छाएं / चित्रा पंवार

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:26, 10 जुलाई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चित्रा पंवार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जो अधूरी इच्छाएं
गांठ बनकर
रह जाती हैं
मन के किसी कौने में
दबी हुई
वही जन्मती हैं एक दिन
मां की कोख से बेटी बनकर।