Last modified on 13 जुलाई 2023, at 20:21

अबोलापन / अनीता सैनी

वीरबाला (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:21, 13 जुलाई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता सैनी }} {{KKCatKavita}} <poem> अबोलापन बाँ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अबोलापन
बाँधता है
संवाद से पहले
होनेवाली
भावनाओं की
उथल-पुथल को
साँसों की डोरी से ।

मौन भी काढ़ता कसीदा
आदतन विराजित
एक कोने में
संवादहीनता ओढ़े
दर्शाता हृदय की गूढ़ता को ।
भाव-भंगिमा का
बिखराव
एहसास के सेतु पर अकुलाहट
समयाभाव
अपेक्षा का ज्वार
गहरे
बहुत गहरे में
है डुबोता।