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मेरा मींजा दिल / रघुवीर सहाय

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एक शोर में अगली सीट पे था
दुनिया का सबसे मीठा गाना
एक हाथ में मींजा दिल था मेरा
एक हाथ में था दिन का खाना.

इस डर से कि बस रुक जाएगी
आवाज जहां मैं दे दूंगा
मैं सुनता था. कोई छू ले कहीं
मेरी पीठ नहीं- आना जाना लोगों का
हंसना गन्‍धाना- सीने में भरे साबूदाना
दांतों की चमक सुथरी नाकें- वह रोज-रोज
इस रोज आज कल भी मुझ पर झुक जाएगी
सूखी लड़की. चेहरा चेहरे चेहरों के मुंह
गाढ़े गोरे पक्‍के खुश चुप. अनजाने बेमन मुस्‍काना

मोटे बुजदिल. घुप. शहरों के.
तब मैं समझा
वह अनिता थी
अनिता? वह सीधी सलोतरी अपनी अनिता थी
रोजाना
जब तेज हुई बस
मैंने अंग्रेजी में कहा
ला कबाना

कोई सुन न सका.
मेरी खुशहाली के दिन में
मुझसे दो आने ले न सका. मैं हो न सका
मैं सो न सका. मैं रो न सका. मैं पों न सका
पों क्‍या माने?