भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

समझ / जया आनंद

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:12, 17 जुलाई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जया आनंद |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम पाना
आसान है
इसके लिए
अहं को कूटना
पीसना है
बस थोड़ा सा
सरल होना है
और
सरल होना शायद!
कितना कठिन!
पर मेरे लिए नहीं,
कबीर को थोड़ा तो समझा है!