भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दिल्ली अब भी दूर बहुत है / सत्यम भारती

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:20, 30 जुलाई 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सत्यम भारती |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल्ली अब भी दूर बहुत है
मन मेरा मजबूर बहुत है

दिन भर रहा बिछावन पर
फिर भी तन यह चूर बहुत है

किससे अपनी बात कहूँ
परवर यह मगरूर बहुत है

सच है अब वह बात नहीं पर
अबतक वह मशहूर बहुत है

माँ के पास सुकूँ पाता हूँ
माँ की दुआ में नूर बहुत है