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भगत सिंह के लिए / शिव रावल
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आज़ादी की दलीज़ पर
मौत की शम्मा पिघलती है
मैं सरफ़रोशी का जुगनू
मुझमें ज़ज़्बों की आँधी चलती है
मैं आनेवाले युवा कल का
कायम हौंसला हूँ
स्वाधीनता की मशाल की
असल चिंगारी भी मैं ही हूँ
मैं हूँ स्वतंत्रता के बाग़ानों का
इंक़लाबी बेख़ौफ़ भंवरा
ग़ुलामी का जन्मज़ात शत्रु
मेरी गूँज 'शिव' , बग़ावतें उगलती है