Last modified on 17 नवम्बर 2023, at 00:57

कौन किसके दिल को भाया / हरिवंश प्रभात

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:57, 17 नवम्बर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरिवंश प्रभात |अनुवादक= |संग्रह=छ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कौन किसके दिल को भाया, ऐसी बातें मत करो,
सुख है अपना दुख पराया, ऐसी बातें मत करो।

मरना पड़ता है किसी को स्वर्ग पाने के लिए,
हमको कब मरना सुहाया, ऐसी बातें मत करो।

राह अँधेरा बहुत पर चलने में क्या हर्ज है,
संग अपना गर ना साया, ऐसी बातें मत करो।

फूलों की ख़िदमत में कितने गीत गाये जा रहे,
काँटों से ही दर्द पाया, ऐसी बातें मत करो।

क्या हुआ हमने उसे देखा नहीं जो सामने,
ख़्वाब ही सौग़ात लाया, ऐसी बातें मत करो।

यूँ सफ़र करते रहें हैं, बन के सूरज चाँद हम,
हो सकी रौशनी ना काया, ऐसी बातें मत करो।