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प्रेम का सामजिक रूप / प्रिया जौहरी
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प्रेम कहानियो में एक गति होती है
जो और भी तेजी से फैलाती है
जब इसकी चर्चा दबी ज़ुबान से की जाती है
ये कथाएँ लावारिस होती हैं
लोग अपनी कल्पनाओं और रूचि के मुताबिक
मनचाहा मसाला मिला कर अगले को परोसते हैं
अगर कहानी के नायक या नायिका से
आपकी दुश्मनी हो तो उसे किंचित
अश्लील बनने से कोई नहीं रोक सकता !