भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम का सामजिक रूप / प्रिया जौहरी

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:10, 31 मई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रिया जौहरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम कहानियो में एक गति होती है
जो और भी तेजी से फैलाती है
जब इसकी चर्चा दबी ज़ुबान से की जाती है
ये कथाएँ लावारिस होती हैं
लोग अपनी कल्पनाओं और रूचि के मुताबिक
मनचाहा मसाला मिला कर अगले को परोसते हैं
अगर कहानी के नायक या नायिका से
आपकी दुश्मनी हो तो उसे किंचित
अश्लील बनने से कोई नहीं रोक सकता !