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उपहार / विजयाराजमल्लिका / सन्तोष कुमार

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ओ चंदा
तुमने देखा मेरा उपहार,
वो खिलता हुआ इन्द्रधनुष
और वो चंचला नदी !

जैसे कि मेरी पुत्री और मेरा पुत्र
मैं पालूँगी इन्हें
ये कोमल गुच्छे
जो उतरे हैं इस धरा पर
रत्नजड़ित चिराग बन !

नहीं पुकारना मुझे
उन्हें… लड़का या लड़की कह के,
वही तय करें कि
वे कौन-से फूल हैं…
प्यारे फूल माँ की बगिया के

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सन्तोष कुमार