भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बम और कविता / राजेश अरोड़ा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:36, 27 जुलाई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश अरोड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एक हो रहा है यूरोप
विघटित हो चुका है रूस
शाश्वत नहीँ है
विश्व मानचित्र पर खींची लकीरें
फिर क्यों होते हैं युध्द
जिसमें गिरते हैं बम
और युध्द में मरने वाले आदमी
कभी होते है इराकी
बमों से मरने वाली औरते
होती हैं कभी हिंदुस्तानी
बमों से मरने वाले बच्चे
होते हैं कभी पाकिस्तानी
शाश्वत है तो
सिर्फ लड़ाई
बमों की और आदमियों की
काश जीत जाये एक बार आदमी ।