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शर्मनाक समय / अदनान कफ़ील दरवेश
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इस शर्मनाक समय में
कविताएँ भी थीं लहूलुहान
और भेज रही थीं कवियों पर
बेशुमार लानतें…
वो इतनी विचलित थीं
कि मिटा देना चाहती थीं
अपने लिखने वालों के ही नाम…