भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

हँसी / कुंदन सिद्धार्थ

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:52, 30 मार्च 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुंदन सिद्धार्थ |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बहुत कुछ कहती है
भरोसा जगाती हँसी
 
एक बेपरवाह हँसी गढ़ती है
सुंदरता का श्रेष्ठतम प्रतिमान

अर्थ खो देंगे
रँग, फूल, तितली और चिड़िया
एक हँसी न हो तो
 
हँसी से ही
सम्बंधों में रहती है गर्मी
 
नींद कैसे आयेगी हँसी के बिना
प्रेम का क्या होगा?
 
हँसी को तकिया बनाकर
सोता है प्रेम