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जो भी आए लौटकर नहीं गए / दिनकर कुमार
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जो भी आए लौटकर नहीं गए
लौटने की अभिलाषा बची रही
बचा रहा अपनी जड़ के प्रति मोह
अपने मूल परिवेश को दोबारा पाने का
आकर्षण
जो भी अए लौटकर नहीं गए
चाहते थे लौट जाना
देहात की ज़िन्दगी में दोबारा रम जाना
बचपन की स्मृतियों के संग
ख़ुशहाल जीवन बिताना
जो भी आए लौटकर नहीं गए
बन गए लोकगीतों की ऎसी पंक्तियाँ
जिनमें विरह की टीस बसी है
जिनमें पूरब देस न जाने की
हिदायत दी गई है ।