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एक उत्सव गीत / शुभम श्रीवास्तव ओम

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शोकगीतों के समय में
एक उत्सव-गीत लिखकर
ख़ुश हुआ मन !

एक अँधियारा हुआ सुख
अजनबीपन
देह पर अपनी
न चाहा स्पर्श-सा कुछ
गीत आदिम चाहता मन
और जीवन
हो रहा मुश्किल
‘कथन-निष्कर्ष’-सा कुछ

प्रश्न-गीतों के समय में
एक उत्तर-गीत लिखकर
कुछ हुआ मन !

एक सीमा
एक निजता-सामूहिकता
लोग अब ज़्यादा सहज हैं
पक्ष बनकर
हर असहमति के लिए
है प्रति-असहमति
हाथ में लेकर खड़ी
पिस्तौल-पत्थर

युद्ध-गीतों के समय में
एक सहमति-गीत लिखकर
चुप हुआ मन !