भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

इक दम से / चरण जीत चरण

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:51, 17 अगस्त 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चरण जीत चरण |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGh...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दिल निकलता ही नहीं इस ग़म से
तुमने भी छोड़ दिया इक दम से

तेरी तस्वीर रखी है लेकिन
प्यास बुझती है कहाँ शबनम से?

फिर तो कर लेती मुहब्बत दुनिया
जख्म भर जाते अगर मरहम से

क्या हुआ फ़िर से बता आई थी ?
एक आवाज़ मुझे भी छम से

दोस्त बन जायँ चलो कहने लगी
दिल मगर माना नहीं कुछ कम से

कश लगाने से लहू जलता है
यार वह कह के गई थी हमसे